अभिव्यक्ति की आज़ादी या अश्लीलता का प्रहार? – इंडिया गॉट लेटेंट विवाद

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भारत में मनोरंजन हमेशा से लोगों के दिलों पर राज करता आया है, लेकिन जब हास्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में नैतिकता की सीमाएं लांघी जाती हैं, तब सवाल उठना लाजिमी हो जाता है। हाल ही में, भारत के एक लोकप्रिय शो “इंडिया गॉट लेटेंट” में ऐसी ही एक घटना हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

इस शो में प्रसिद्ध यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (BeerBiceps), हास्य कलाकार समय रैना, और Rebel Kid ने एक ऐसे मज़ाक को हवा दी, जो सिर्फ एक मज़ाक नहीं था, बल्कि हमारे समाज की बुनियादी नैतिकता पर एक सवाल था। रणवीर ने मंच पर एक सवाल पूछा, “क्या आप अपने माता-पिता को रोज़ सेक्स करते देखना चाहेंगे, या एक बार उनके साथ शामिल होना चाहेंगे?”

इस सवाल ने मंच पर मौजूद सभी लोगों को असहज कर दिया, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह थी कि इस संवाद को हास्य का रूप देने की कोशिश की गई। दर्शकों में से कुछ ने हंसकर इसे टाल दिया, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो इस बेहूदा मज़ाक पर गुस्से से भर गए। देखते ही देखते यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, और पूरे देश में इस पर चर्चा होने लगी।

महिलाओं के सम्मान की बात करने वाले लोग, पारिवारिक मूल्यों को संजोने वाले समाज के लोग – सबने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। महाराष्ट्र महिला आयोग ने इस बयान की आलोचना करते हुए कड़ी कार्यवाही की मांग की। मुंबई पुलिस के पास शो के आयोजकों और प्रतिभागियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई।

इस पूरे विवाद पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी के लिए है, लेकिन जब यह समाज की मूलभूत नैतिकता और सम्मान को ठेस पहुंचाए, तो यह अनुचित हो जाता है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

इस विवाद के बाद रणवीर अल्लाहबादिया ने माफी मांगते हुए कहा कि “कॉमेडी मेरी ताकत नहीं है। यह सवाल अनुचित था, और मैं इसके लिए क्षमा चाहता हूँ।” लेकिन क्या केवल माफी मांगने से यह मामला खत्म हो जाता है? क्या यह सवाल नहीं उठना चाहिए कि आखिर मनोरंजन के नाम पर हम किस ओर बढ़ रहे हैं?

हम एक ऐसे समाज में रहते हैं, जहां माता-पिता का सम्मान सबसे ऊपर होता है, जहां महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है, और जहां बुजुर्गों को जीवन के अनुभवों का प्रतीक माना जाता है। लेकिन जब एक मंच पर, लाखों दर्शकों के सामने, इस तरह की भाषा का प्रयोग किया जाता है, तो यह सिर्फ एक मज़ाक नहीं, बल्कि हमारे समाज के मूल्यों पर एक गहरी चोट होती है।

इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमने मनोरंजन के नाम पर नैतिकता और सम्मान को दांव पर लगा दिया है। अगर हम आज नहीं जागे, तो कल को यह सीमाएं और भी धुंधली हो जाएंगी। इसलिए, समाज को मिलकर यह तय करना होगा कि हास्य की भी एक मर्यादा होनी चाहिए, और सम्मान से बड़ा कोई मज़ाक नहीं हो सकता।

ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे। हमें एक ऐसा उदाहरण स्थापित करना होगा, जिससे यह स्पष्ट हो कि समाज इस तरह की अश्लीलता और अनादर को बर्दाश्त नहीं करेगा।

लेकिन क्या यह समस्या सिर्फ इस एक शो तक सीमित है। आज OTT प्लेटफार्म्स पर भी ऐसा ही मनोरंजन परोसा जा रहा है, जिसका कोई नियंत्रण नहीं है। फिल्मों और वेब सीरीज़ में खुलेआम गाली-गलौच, अश्लीलता और अपमानजनक कंटेंट दिखाया जाता है, और इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” कहकर सही ठहराया जाता है। लेकिन क्या यह सही है।

हम यह भूल जाते हैं कि मनोरंजन का मतलब सिर्फ बोल्डनेस और गाली-गलौच नहीं होता। अगर हमने इसे अभी नहीं रोका, तो आने वाली पीढ़ी के लिए समाज में नैतिकता और संस्कारों का कोई महत्व नहीं रहेगा। इसलिए, सरकार को सख्त नियम बनाने होंगे, और समाज को भी यह तय करना होगा कि वह किस तरह के कंटेंट को स्वीकार करता है।

यह सिर्फ एक विवाद नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। हमें समझना होगा कि स्वतंत्रता और अश्लीलता में फर्क है। मनोरंजन के नाम पर हमें अपने संस्कारों और मूल्यों को गिरने नहीं देना चाहिए।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सम्मान और नैतिकता से ऊपर नहीं हो सकती। ऐसे अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए, इंडस्ट्री को ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए, और OTT पर भी कंट्रोल की जरूरत है ताकि समाज की बुनियादी मर्यादा बनी रहे।

इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा साझा करें ताकि समाज में जागरूकता फैले और इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई हो सके।

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