गांधीनगर में बढ़ती गर्मी का मुख्य कारण यहां की प्रशासनिक लापरवाही और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। बिना सोचे-समझे हजारों पेड़ काट दिए गए हैं, जिससे तापमान तेजी से बढ़ रहा है और पर्यावरण असंतुलित हो रहा है।
गांधीनगर, जिसे पहले हरी-भरी सिटी कहा जाता था, अब वहां सिर्फ कंक्रीट की इमारतें खड़ी हो रही हैं। प्रशासन के लोग जो पर्यावरण के बारे में नहीं सोचते, वे बिना किसी परवाह के पेड़ों को काट रहे हैं।
यहां तक कि निजी कार्यक्रमों और अस्थायी आयोजनों के लिए भी पेड़ काटने की अनुमति दी जा रही है। कई बार अवैध रूप से पेड़ों की बिक्री तक हो रही है। प्रशासन और गांधीनगर वन विभाग को यह सब पता होने के बावजूद वे चुप हैं। ऐसा लग रहा है कि पूरा गांधीनगर वन विभाग पूरी तरह से निष्फल हो गया है। न ही वे अवैध कटाई रोक पा रहे हैं और न ही पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं।
पिछले नवरात्रि के दौरान, सिर्फ नौ दिन के त्योहार के लिए नीम के पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर दिया गया। गांधीनगर वन विभाग को पहले से ही पता था कि यह ट्रांसप्लांट असफल होगा, लेकिन दबाव में आकर इसे किया गया। और अब, किसी को यह तक नहीं पता कि वे पेड़ कहां ट्रांसप्लांट किए गए थे, या उनका क्या हुआ।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि अभी मार्च में ही गांधीनगर में येलो अलर्ट घोषित कर दिया गया है। लगातार बढ़ती गर्मी और घटते पेड़ों के कारण शहर का पर्यावरण बिगड़ रहा है।
पेड़ लगाने के नाम पर भी धोखा हो रहा है। कागजों में दिखाया जाता है कि बहुत से पेड़ लगाए गए हैं, लेकिन असलियत में यह आंकड़े झूठे होते हैं। विकास के नाम पर हरे-भरे पेड़ों को हटाया जा रहा है और झूठे दावे किए जा रहे हैं।
अब समय आ गया है कि गांधीनगर के लोग इस मुद्दे पर ध्यान दें और पेड़ों को बचाने के लिए आवाज उठाएं। यह सिर्फ आज की समस्या नहीं है, बल्कि आने वाले कल के लिए भी जरूरी है।को बचाने के लिए आवाज उठाएं। यह सिर्फ आज की समस्या नहीं है, बल्कि आने वाले कल के लिए भी जरूरी है।
No comments ……..”prakriti ka jo nuksaan hona tha wo ho gaya……….trees ki values n uski environment me importance samjni chahiye wo nhi samji aur kaat kut ho gyi….”
Koi bhi comments aur koi bhi action us nuksaan ki bharapai nhi kar sakta….
Ab jo bhugtana hai wo bhugto……🙂.
Aage tress ko NA katne ki sadbuddhi bagwan…..yehi prarthana…🙏🙏